भाग्यलक्ष्मी कछुए वाली अंगूठी को वास्तुशास्त्र के अनुसार शुभ माना गया है। यह अंगूठी व्यक्ति के जीवन के कई दोषों को शांत करने का काम करती हैै जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत के साथ-साथ इंसान का भाग्य का साथ होना भी जरूरी है कछुए को हमेशा सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कछुए की अंगूठी पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। और घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है
₹1299
डिलीवरी: | Within 5 - 7 Business Days |
साइज़:: | एडजस्टेबल |
धातु: | पंच धातु (with गोल्ड प्लेटेड ) |
Order on Whatsapp: | 9993048033 |
हम से क्यों ले: | हम आपको यह प्रोडक्ट अभिमंत्रित करके भेजते है |
यही कछुआ भगवान विष्णु का भी अवतार रहा है। समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार कछुआ समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और साथ ही देवी लक्ष्मी भी वहीं से आईं थीं।
यही कारण है कि वास्तु शास्त्र में कछुए को इतना महत्व प्रदान किया जाता है। कछुए को देवी लक्ष्मी के साथ जोड़कर धन बढ़ाने वाला माना गया है। इसके अलावा यह जीव धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का भी प्रतीक हैे।
कछुआ शांति और प्रेम की वृति वाला जीव होने से इसके चित्रण को अंगूठी में धारण करने से मनुष्य में शांति और प्रेम की वृति बढ़ती है, जिससे उसे सकारात्मक अनुभव होते है।।।
*घर के वातावरण को बनाता है खुशहाल
*लव लाइफ को रखता है बेहतरे हैं।
*स्वास्थ्य में भी होता है सुधार
*करियर के लिए भी बेहतर
*नकारात्मक ऊर्जा को करता है दूर
ध्यान रखें कि इस भाग्यलक्ष्मी अंगूठी के सिर वाला हिस्सा पहनने वाले व्यक्ति की ओर आना चाहिए। कछुए का मुख बाहर की ओर होगा तो धन आने की बजाए हाथ से चला जाएगा।
शुक्रवार के दिन स्नान आदि कर पवित्र अवस्था में लक्ष्मी माँ का पूजन करते हुए यह अंगूठी गंगा जल और दूध से धोये और माँ लक्ष्मी का धयान करते हुए इससे सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी उंगली में पहनेै।